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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

जुगनू

वैसे तो बहुत से नज़ारे,
नजरों से ओझल हुए जा रहे हैं..।
ना धरती की वो सौंधी खुशबू,
ना वो नीला गगन ही, उतना नीला रहा..।
बहुत सी आवाज़ें भी जाने कहां
विलीन हो गई,
जाने अनजाने पक्षियों की..
हवाएं भी अब सहमी सी है
वो नहीं चाहती कि उसको
कोई खुलकर अपनी सांसों में
भर ले..
फूलों की खुशबूओं में भी
अब कुछ फर्क सा नहीं रह गया है..
मगर आज मुझे बचपन का वो वक्त
याद आ रहा है,
जब हम जुगनुओं को
चमकते देखते थे,
अंधेरी सियाह रातों में..
और अपनी अंजुली में भरने को आतुर
दौड़ते थे उनके पीछे पीछे..
मगर अब चकाचौंध करती कृत्रिम
रोशनियों से चुंधियाती आंखों से वो
नन्हा शीतल प्रकाश कहीं दिखलाई ही नहीं पड़ता..
कही हो गया है गायब,
या विलुप्त प्रजाति की सूची में
दर्ज़ करा लिया है अपना नाम..
आपको कहीं दिखे तो मुझे भी बताना..
और हो सके तो उसको मेरी याद देना..
बोलना उसकी वो टिमटमाहट मेरी आंखों में
अमिट रूप से बसी हुई है..

पवन कुमार "क्षितिज"




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह,पवन जी, क्या खूब लिखा है आपने, जुगनू तो आजकल दिखाई ही नहीं देती।अगर होती भी होंगी तो रौशनी की चकाचौंध में हम देख नहीं पाते।एक कवि के मन में गायब होती कुछ नस्लों की पीड़ा, स्वाभाविक है। आपकी रचना में एक दर्द भी है, और चाहत भी।👌🌹🙏

इक़बाल सिंह “राशा“ said

क्षितिज जी
वाह
आपकी यह रचना बचपन की यादों और प्रकृति के बदलते स्वरूप को इतने मार्मिक ढंग से छूती है कि पढ़ते ही मन भीतर तक भीग जाता है। जुगनुओं की टिमटिमाहट को याद दिलाकर आपने खोए हुए सुकून का आईना दिखा दिया है।

पवन कुमार "क्षितिज" said

मनोज जी और इकबाल जी आपका आभार मानता हूं,, आपने कविता को इतनी शिद्दत से पढ़ा और सराह..शुक्रिया जी

वन्दना सूद said

वाह बहुत सुंदर 👌👌सही में रात में पेड़ों के बीच जलती बुझती बिजली देखकर कितना ख़ुश होते थे । कितने कीमती यादें आज कल के बच्चों के पास नहीं रहेंगी ,ऐसा सोचकर अच्छा नहीं लगता है

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