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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

बनावट के दोस्तों से - आशिक़ी के रंग - वेदव्यास मिश्र

बनावट के दोस्तों से,
बेहतर हैं बहोत तनहाइयाँ !!
बनावट की आशिक़ी से,
बेहतर हैं बहोत रूसवाइयाँ !!

क्या मिलेगा झूठे लोगों से,
दिल लगाकर के मेरे यारो !!
क्या मिलेगा ख़ाली कमरे को
कबाड़खाने बनाकर के दोस्तों !!
बनावट के मेहफ़िलों से,
लाख बेहतर हैं रूसवाइयाँ !!

रंगमहलों के मोह छोड़ो,
सन्नाटे वहाँ आजकल गूँजते!!
जोड़ लो रिश्ता सादगी से,
खुश हो जायेंगे फरिश्ते !!
बनावट के चाहतों से,
बेहतर हैं बहोत दुश्वारियाँ !!

- वेदव्यास मिश्र


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सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

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अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut uttam vichar Acharya Ji, 🙏🙏 Pranam Sweekar Karein, aap yakin karein ya na karein Mere vichar aapki rachna se 100% milte hain, jabaki shrimati ji ka iske vipreet hai, isiliye hamari zindagi ki relgaadi thik se chal paa rahi hai..wo kahte hain na different pole of megnate attracts each other wahi kahani hai dono ki vichardhara alag hone bavjood bhi balance bana hua hai visheshkar is rachna ke kendra par.

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Par yeh bhi shat pratishat sahi hai ki jab unko kisi ki vajah se dukh hota hai to samjhaya hu rahne dein chhodkar aage badhein fir wahi karyakram ek do din idhar udhar baad m fir dosti,rishtedari wapas hojati h aur fir chot khati hain, isme mujhey bar bar vyathit hona padta hai. Unke sahane ki shakti ka kaayal hun pata nahi kese sah leti hain itna sab

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र जी, सेम टू सेम इधर भी है मगर जस्ट उल्टा..यहाँ पर धोखे मैं खाता हूँ और समझाती हैं मेरी श्रीमतीजी !! मैं भावनात्मक हूँ और वो be practical हैं !! मुझे शायद धोखा खाकर भी एक सुकून ये सोचकर मिलता है कि कर्म उसने अच्छा नहीं किया मेरे साथ तो वो जाने !! मैंने गलत नहीं किया एक मानव होने के नाते..तो देखा जायेगा जो भी होगा !! उदाहरण पेश है सच्ची-मुच्ची एक सेम्पल के रूप में !! पहला उदाहरण- कोरोनाकाल में मेरी तबियत खराब थी..एक दूर के पहचान का व्यक्ति आया ..दो हजार की हेल्प लेने !! उसके छ: माह के बच्चे की तबियत खराब थी !! दे दिया बिना ज्यादा पूछताछ के !! नहीं मिला अभी तक वो पैसा !! दूसरा उदाहरण- मेरी एक लड़की स्टूडेंट ने कहा कि मेरे मामा जी का एक्सीडेंट हो गया है !! हाॅस्पीटल में एडमिट हैं, मैं अपनी मम्मी को भेज रही हूँ,कृपया पाँच हजार दे दीजियेगा..मैं दो हफ्ते में दे दूँगी !! अब तो सात साल हो गये !! न माया मिली न राम यानि वो लड़की कहाँ गई..पता नहीं !! मोबाईल नम्बर स्विच ऑफ !! इतना चोट खाने के बावजूद अभी कोई कुछ माँगने आ जाये..वो खाली हाथ नहीं जायेगा !! ऐसे न जाने कितने उदाहरण हैं मगर सुधरने का नाम ही नहीं है !! हाँ, ये परिवर्तन जरूर आया है मुझमें..एक-दो दिन घुमाकर उस व्यक्ति को चेक जरूर करता हूँ !! आभार अनुज श्री..इतनी व्यापक हाल-समाचार शेयर करने के लिए 💖💖 स्नेहाशीष नमन 🍵🍵

रीना कुमारी प्रजापत said

बिल्कुल सही कहा आपने बनावट के दोस्तों से तन्हाइया ही बेहतर है.... अति उत्तम भाव

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी, ऐसे मतलबी रिश्तों से जरूर बचना चाहिए मगर हमें गुलामी से बचना है तो आजादी को समझनी ही होगी !! अन्यथा ज़िन्दगी हमें बेचैन कर देगी !! 🙏💖💖🙏

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