ख़ुद शीशे को पत्थर से टकराते देखा है
और कभी पत्थर को भी शरमाते देखा हैI
जर्जर कश्ती है तूफ़ाँ में फंसे मछुआरों को
सही सलामत साहिल पे भी जाते देखा है I
शेर हमेशा खा जाता है जंगल के जीवों को
वक्त बुरा आया जो भूखे गिर जाते देखा हैI
दास यहां पे सबका रखवाला है ऊपरवाला
उसकी मर्जी से सबको जीते मरजाते देखा है।
कौन किसी का मालिक कौन भला चाकर है
हमने चाकर को ही मालिक बन जाते देखा है II