वक्त गुजरता रहा
उम्र ढलती रही
जिंदगी की सरिता बहती रही
कभी ऐसा हुआ
कभी वैसा हुआ
होते होते सब कुछ उलटा हुआ
दर्द के दर्पणमें
दर्शन सच का हुआ
दर्द फ़िर भी बदनाम होता रहा
आग लगाकर लोग हँसते रहे
ख़ुद के गुमान में वो इतराते रहे
देर से सही वक्तने तोड़ा..सहमे वो रहे
वक्त गुजरता रहा
उम्र ढलती रही
ज़िंदगी की सरिता बहती रही