ज़िन्दगी समझ कहाँ आती है
ज़िन्दगी शुरू होती है
बहुत से रिश्ते जुड़ जाते हैं
कुछ दोस्त बन जाते हैं
कई हैलो हाई करने वाले भी होते हैं
सच बात तो यह है कि
ज़िन्दगी जीने की वजह मिल जाती है ..
ज़िन्दगी बहुत मस्त चल रही होती है
उतार चढ़ाव झेलते समय बीत रहा होता है
फिर एक समय ऐसा आता है
जहाँ हर महीना सबके जन्मदिन की याद दिलाता था
वहीं अब हर महीना उन्हीं के मरण दिन की याद दिलाता है
ज़िन्दगी के नग़्में हैं समझ कहाँ आते हैं ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




