©धड़कन का सौदा
दुनिया की तकदीर में दिल कहां धड़कता है,
मंसूबे अगर प्रेम के हैं तो,
बार बार देकर भी धोखा कहां संभलता है,
कितना सत्य से खुद को पाक बेबाक रखें,
दो दिलों के बीच में तो धड़कन का ही सौदा है,
गुलबदन- बेगम-सनम शहर तो आबादी का है,
आप वापस गांव लौट जाए,
यह मंजिले मुसाफिर शहर तो बर्बादी का है,
आपकी मुस्कान एक शांत कोने में ही ठीक है,
भरे बाजार में तो ,
व्यापार धड़कनों का ही होता है,
दो दिलों के बीच में तो,
धड़कन का ही सौदा है।
मैं क्यों मन से मौज माही बनूं,
यह दिल भी तो जानता है,
हर प्रेम का लश्कर खैराती का है,
बाराती ही तो आते हैं दूल्हे के सेहरों में,
बड़ी मुश्किल से दुल्हन ही जाने,
दो दिलों के बीच में तो ये धड़कन का ही सौदा है।।
- ललित दाधीच।।