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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

छोटी सी ख्वाहिश

छोटी सी ख्वाहिश
आज सामने बच्चों को खेलते देखा
तो अपना बचपन याद आ गया
फिर अपने बच्चों का बचपन भी याद आने लगा
कैसे समय के दौर ने खूबसूरत लम्हों को याद बना दिया।

नन्हें नन्हें बच्चों का घुटनों पर चलना
उँगली पकड़ उन्हें चलना सिखाना
अपनी गोद में उठा पूरी दुनिया घुमाना
फिर उनका अपने पैरों पर ख़ुद चलना सब याद आ गया ।

छोटी छोटी बातों पर सीख देना
उनके डर को जीत कर उनकी ताकत बनना
पढ़ाई-लिखाई ,खेल-कूद सब में उनकी मदद करना
प्यार,फटकार,हँसी,मजाक मीठे-मीठे पल सब याद आ गए।

ख़्वाबों से भरा यह एक परिवार
जिसे सपनों से हम सब ने सजाया
फिर उनका बड़ा हो कामयाब होना
उनका छोटी सी अलग दुनिया बनाना सब याद आ गया।

सब इच्छाएँ हो गई हैं पूरी
बस थोड़ी सी बात रह गई अधूरी
कि उम्र के इस मुक़ाम पर हम अगर लड़खड़ाएँ
तो आज तुम भी अपना हाथ देकर हमें थाम लेना
हमारे डर को आज तुम जीत हमारी ताक़त बन जाना
भूल जाएँ अगर हम सब यादें,पर तुम न हमें भुलाना
आज हमें अपना बच्चा समझ,तुम पाल लेना ॥
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

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अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बचपन तो याद आता है मेम, कभी अपने बचपन की यादें कहीं भुला पाता है भला इंसान, बहुत सुन्दर प्रसंग

वन्दना सूद replied

🙏🙏

Sanjay Srivastva said

बचपन के गलियारे, लाजवाब👌

वन्दना सूद replied

😊😊

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

बचपन एक खूबसूरत महताब है हासिल करने,हर उम्र बेताब है। आपने सुंदर लिखा, पढ़कर मन भर आया।

वन्दना सूद replied

बचपन का पड़ाव ऐसा ही है जो हर उम्र को भावुक कर देता है 🙏😊

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