छोटी सी ख्वाहिश
आज सामने बच्चों को खेलते देखा
तो अपना बचपन याद आ गया
फिर अपने बच्चों का बचपन भी याद आने लगा
कैसे समय के दौर ने खूबसूरत लम्हों को याद बना दिया।
नन्हें नन्हें बच्चों का घुटनों पर चलना
उँगली पकड़ उन्हें चलना सिखाना
अपनी गोद में उठा पूरी दुनिया घुमाना
फिर उनका अपने पैरों पर ख़ुद चलना सब याद आ गया ।
छोटी छोटी बातों पर सीख देना
उनके डर को जीत कर उनकी ताकत बनना
पढ़ाई-लिखाई ,खेल-कूद सब में उनकी मदद करना
प्यार,फटकार,हँसी,मजाक मीठे-मीठे पल सब याद आ गए।
ख़्वाबों से भरा यह एक परिवार
जिसे सपनों से हम सब ने सजाया
फिर उनका बड़ा हो कामयाब होना
उनका छोटी सी अलग दुनिया बनाना सब याद आ गया।
सब इच्छाएँ हो गई हैं पूरी
बस थोड़ी सी बात रह गई अधूरी
कि उम्र के इस मुक़ाम पर हम अगर लड़खड़ाएँ
तो आज तुम भी अपना हाथ देकर हमें थाम लेना
हमारे डर को आज तुम जीत हमारी ताक़त बन जाना
भूल जाएँ अगर हम सब यादें,पर तुम न हमें भुलाना
आज हमें अपना बच्चा समझ,तुम पाल लेना ॥
वन्दना सूद