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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ज़माना हमेशा बेख़बर रहा..

ज़माना हमेशा बेखबर रहा उससे और वह,
अनमोल हीरा आँखों से ओझल होता रहा !!
वह उम्र के मुहाने पर तड़प रहा था और,
ज़माना उसपे लगातार फब्तियाँ कसता रहा !!

पारखी नज़रें रही नहीं अब,
इस अजीब सी मतलबी व्यापार में !!
गिद्ध नजरें उसे नोचती रही और वह,
बेबस तन्हा खुद को ही तकता रहा !!

न ही ग़ालिब था वो और न ही उमर खय्याम,
न ही हासिल हुईं उसे नवाबों की मेहफिलों कभी !!
वो लिखकर शायरियों पे शायराना हरदम,
पोटली बनाकर सिरहाने तह पे तह रखता रहा !!

वेदव्यास मिश्र की बेबस 💝 कलम से..


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सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (9)

+

वन्दना सूद said

बहुत शानदार रचना sir 👌👌👏👏

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना सर।👌👌🙏

वेदव्यास मिश्र said

वन्दना सूद मोम जी,
आपकी समीक्षा पाकर बहुत खुशी हुई !!
आभारित हूँ आपका और आपकी भावनाओं का !!
नमस्कार 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

सुभाष कुमार यादव सर जी,
बहुत-बहुत नमस्कार आपको !!
आभार सहृदय 🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह!! जब किसी की परिश्रम की कद्र करने वाला न हो या उसे वो तवज्जो न मिले जिसका वो हकदार है।तब वेदना की ऐसी लहर हृदय में हिलोरे लेने लगती।मिश्र जी खूबसूरत रचना।

वेदव्यास मिश्र said

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" जी,
एक सम्वेदनशील रचनाकार को समझने के लिए आप जैसा एक सम्वेदनशील इन्सान और रचनाकार का होना भी जरूरी है मित्र !! निश्चित ही एक रचनाकार के दिल को तसल्ली मिलती है कि गनीमत है ,एक साहित्य जिन्दा है !!
यकीनन हमारी सारी समस्याओं का समाधान साहित्य में ही है क्योंकि हमारे सिरे इमोशंस नौ रसों में समाहित हैं जो साहित्य का मूल आधार है !!
आभार भाई नमस्कार !!

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह! बेहद मार्मिक और गहरे एहसासों से भरी रचना।
आपने उस अनदेखे, अनसुने, और अक्सर ठुकरा दिए जाने वाले फनकार की पीड़ा को बहुत सलीके से शब्द दिए हैं।
आदरणीय आचार्य जी को सादर प्रणाम 👏👏

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' जी,
आपकी शानदार संदर्भित टिप्पणी से मेरा मन उत्सव और उत्साह दोनों से भर गया !!
एक थेरेपी है मेरे लिए भाई अशोक जी आपकी समीक्षा..तबियत में राहत मिली 💝💝

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' जी,
शुभाशीष नमन..आप स्वस्थ रहें और आपकी उत्साहवर्धक उपस्थिति इस पटल पर हमेशा बनी रहे..इसके लिए ईश्वर से हम विनती करते हैं !!
आभार 🙏💝💝🙏

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