कापीराइट गीत
मोहब्बत के दर्द की कहीं मिलती नहीं दवा
बस खुदा से मिलने की करते रहो दुआ
इतिहास में दफन हैं कई मोहब्बत की दास्तां
ये दासतां सुना रही हैं हर शख्स की जुबां
मरीज-ए- इश्क क्या करे गर मांगे नहीं दुआ
बस खुदा से मिलने की ............
पनघट पे उन से होती थी बात कभी-कभी
मेले में उनसे होती थी मुलाकात कभी-कभी
हमको दे जाती थी संदेशा उड़ती हुई हवा
बस खुदा से मिलने की ............
फेसबुक पर लड़कियां सब होती नहीं असल
इनमें भटक रहे हैं अब मजनूं के हम शकल
वो लेते हैं मैसेंजर पर अब चैटिंग का मजा
बस खुदा से मिलने की ............
कह रहे हैं आज तुमसे राज सारा खोल कर
चाहिए जिसको दवा ले जाए दिल खोल कर
फिर ना कहना बाद में ये चाहिए हमको दवा
बस खुदा से मिलने की .............
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है