यूँ भीगा के पलकें, रोना नहीं चाहिए।
जिसे पा लिया, उसे खोना नहीं चाहिए।
जिसकी चाहत हो और पा लिया उसको,
दूर हो जाए वो ऐसा होना नहीं चाहिए।
खुली आँखों से देखे थे जो ख्वाब उनके,
पूरे होने तक चैन से सोना नहीं चाहिए।
अधूरे ख्वाबों ने ही जिंदा रखा हैं हमको,
उनके ग़म में पलकें भिगोना नहीं चाहिए।
सहेज कर रखो हरेक अनमोल मोती को,
टूट के अलग हो उसे पिरोना नहीं चाहिए।
दिल में नहीं सम्मान एक-दूसरे के लिए,
ऐसे बोझिल रिश्ते को ढोना नहीं चाहिए।
🖊️सुभाष कुमार यादव