बड़े अवसरवादी हैं लोग
कुछ लेना हो तो पास
नहीं तो कर देते निराश।
हर बात तो तोलते हैं
जरूरत पर हीं बोलते हैं।
बदल रहा ज़माना ।
बदल रहा है आदमी।
पहले आदमी आदमी
के काम आता था।
अब डर रहा आदमी
से आदमी।
ना रिश्तों का ख्याल ।
ना ऊंच नीच का सवाल ।
बस बात बात पर लड़
जाता है आदमी।
बीन मतलब के तो
परछाई से भी दूर भागता
है आदमी।
बनता है अहंकारी निरंकारी
व्यभिचारी ।
बनता है धूर्त।
बनाता अपनों को हीं मुर्ख़।
करता है अपनों से हीं
चालाकी।
बनता है दोस्त झूठ मूठ का
दोस्त दोस्त का हीं दुश्मन
बनता है हालांकि।
किसी के पास दो शब्द
कुशल क्षेम के नहीं हैं ।
सांस लेने के बदले में
कीमत मांगते हैं।
हैं बड़े हीं मतलबी लोग
काम निकाल जाने पर
पुछतें भी नहीं ।
तेवर ऐसे दिखते कि
दुनियां के मालिक हैं वहीं।
बच कर रहना यारों
इन मतलाबियों से।
इन सावन के मेंढक
सांप कीट पतंगों से..
ये मौकापरस्त हैं ।
इनसे पूरी दुनियां त्रस्त है।
ये सिर्फ करतें हैं बरबादी ..
ये हैं अवसरवादी ..
ये हैं अवसरवादी ..