लिखकर मेरा नाम मिटा दिया उसने।
शायद मुझे भूला दिया उसने ।
पर इन खूबसूरत वादियों में
उसका नाम अभी भी गूंजता है ।
दिल मेरा आज़ भी उसको ढूंढता है।
जब जब भी गुजरता हूं उसकी गलियों से
सहसा उसके होने का आभास सा होता है।
शायद सच में आई होगी वो या
यूं हीं मेरा दिल उसके लिए लरज़ता है।
पर जब वो दिखती नहीं तो बादलों की तरह बरसता है।
कोई लाख छुपा ले इशारों को पर सच्चा प्यार कहां छुपता है।
दिल यार के दीदार को हर पल तरसता है।
जब जब भी बादल बरसता है।
जब जब भी बादल बरसता है।