ये जिंदगी क्या जिंदगी तुझसे ही जब नहीं मिलना,
जब चाँद ना निकला तो जुगनुओं से क्या मिलना l
दरमियाँ फ़ासला बढ़ता रहा हमारे करीब आने से,
जब हार बैठे तो इन नजदीकियों से क्या मिलना l
मुस्कुराना खुश होने की सच में कोई नजीर नहीं,
ये हुनर बेमिसाल है किसी और में कहां मिलना l
जो भी इल्ज़ाम है रखना बेझिझक तुम रख दो,
हम अभी चुप हैं अभी कातिलों से क्या मिलना l
कर भी लेते अगर सब्र हासिल भी कुछ रहा होता,
ये हक़ीक़त है जो नहीं मिलना सो नहीं मिलना l
हमें गँवारा नहीं तुम्हें चाहकर फिर किसी से मिलूँ,
तुम गुजर जाना किसी मोड़ पर अगर मिलना l
दो लफ्ज़ों में बयां कर ना सके हाल अपना सनम,
हज़ार पन्ने उन्हें भेजने से भला अब क्या मिलना l
जिसने कभी रखा नहीं मरहम से वास्ता अपना,
वो कह रहे हैं यहां रूह का रूह से है ये मिलना l
"विजय" तलाश लो जहां में चाहे हमसफर अपना,
जानता हूं तुमको मुझसे बेहतर कहीं नहीं मिलना l
विजय प्रकाश श्रीवास्तव (c)