चंदेक लोग ,
आडम्बर का रोग ,
शादी उद्योग !
बेटे की शादी ,
पढ़ाई आदि खर्चा ,
भरे समधी !
पक्की तसल्ली ,
सगाई से पहले
लेन देन की !
घटिया सोच ,
गृहलक्ष्मी चयन ,
मायका नोच !
बिटिया जवां,
कन्यादान मंशाएं ,
चिंतित बाप !
चकाचौंध सी,
दोमुहीं दुनिया में ,
बाप विवश !
बाप के पांव ,
सरकें आगे पीछे,
बेचे जमीन !
धूमधाम से ,
करें सगाई शादी ,
खूब दहेज !
बेटी की डोली ,
बाबुल खाली झोली ,
दुआएं शेष !
कालांतर ये ,
बेशर्म भीखमंगे ,
बाज न आते !
काँटों की सेज ,
अभिशप्त जीवन ,
यम का हेज़ !
अक्सर सुनते ,
बहु हत्या के किस्से ,
निर्मोही लोग !
अहोभाग्य है ,
कन्या लक्ष्मी देवी को,
पूज्ते देश का !
धिक्कार तुझे ,
दहेज के भिखारी ,
मुंह हो काला !
सर्वोत्कृष्ट है ,
कन्या ही दहेज है ,
जागरूकता !
ये अभिशाप ,
नर्क से लबरेज ,
त्याग दहेज !
नारीशक्ति का ,
दहेज - परहेज ,
कुप्रथा स्वाहा !
शादी हो वहां ,
दहेज से गुरेज ,
नीति हो जहां !
अस्तित्व रहे ,
धरा पर मनुष्य ,
बेटियां सहेज !
✒️ राजेश कुमार कौशल
[हमीरपुर ,हिमाचल प्रदेश ]