कीमती लोग ही भूल जाते हैं,
छोटे मोटे लोग ही काम आते हैं,
सवेरा सभी कामों का होता है,
रात को जो समय पर सोता है,
कैसे आँखों में प्रकाश बाहरी महलों का होता है,
अपने अंदर का सवाल ही सबके सवालों का हल होता है,
जीवन में खुशियां हज़ारों में एक ही होती है,
मिले जिस पल सुकून वहीं खुशी सबसे बड़ी होती है,
दिवाली में दिशाएं हमारी दिशा में घुल सी जाती है,
जब कोई अतिथि के हाथों में मिठाई साथ आती है,
जीवन में वो पल फल की आशा पाती है,
दोनों ही मेहमानों की (मैं और मेरे अतिथि) खुशियां बढ़ जाती है,
दोनों मिलकर दिवाली का नाश्ता करते हैं,
बातों के मेल मिलाप को तरसते हैं,
दोनों दुआ के संगम में मिल जाते हैं,
सभी को सुखी सभी को सुरक्षित पाते हैं,
एक दिन में ये त्योहार सब बदल देता है,
विचारों में विकार के सफर का अंत कर देता है,
माहौल रोशन सा जगमग जगमग करता है,
बाजारों को घर कर देता है,
ये त्योहार ही अद्भुत है,
नई चेतना है,
नई ऊर्जा है,
ये ही भूलने की शक्ति और नया सफर कर देता है,
शायद नया साल ही ये त्योहार है,
ये ही जीवन का पहला उपहार है।।
"सबको मिले ख़ुशी में आशा है,
आशा पूरी हो ये विचार आता रहें
ये सफर हमें मिलाता रहे"
- ललित दाधीच "शुभ दिवाली "🙏🙏🎉