मेरी मौन व्यथा
कह तो दूँ,
क्या समझ सकोगे ?
मेरी मौन व्यथा....
प्रणय का वह सुख,
विरह की वो कथा,
शब्दाभाव से भाव है मौन,
तोड़ गया प्रेम कली को कौन,
समर्पण की विचित्र गाथा ।
कह तो दूँ,
क्या समझ सकोगे ?
मेरी मौन व्यथा.....
आलिंगन में तुम्हें पाने को,
मधुर स्वप्न सजाने को,
अब निशा व्यतीत होती है,
ले-ले कर उलथा ।
कह तो दूँ,
क्या समझ सकोगे ?
मेरी मौन व्यथा....
एकांत होता हूँ जब,
चिर नीरव रोदन में,
हूक उठती है,
व्यथा से पीड़ित मन में,
शब्दों में वर्णित है मेरी प्रेमकथा ।
कह तो दूँ,
क्या समझ सकोगे ?
मेरी मौन व्यथा....
🖋️ सुभाष कुमार यादव