रचयिता की य़ह कैसी कविता है
जाहिर हुआ तब समझे व्यथा है
आँसुओं और सागर का स्वाद
दोनो में नमक जैसी पवित्रता है
आँसुओं में भावनाओं का होना
सागर जैसा गहरापन स्वभावतः है
प्रकृति सँभालने में लगी रहती
और इंसानी 'उपदेश' जैसे थोथा है
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद