आज मुझे कुछ कहना है ,
अपने तरीके से जीना है,
अपने जीवन के कुछ पल ,
अपने लिए भी जीना है
1 :--- नदियों सी में बहना चाहती हूँ,
स्वच्छंद परिंदों से उड़ना चाहती हूँ
बूँदे जब बारिश की बरसे,
मुखड़े पर महसूस करना चाहती हूँ
--------आज मुझे कुछ कहना है
2:---- सबके लिए मैं जीतीआई हूँ
अपनों के लिए जीती रहूंगी
अपने सपनों के लिए जीना चाहूंगी
अपने सपनों को धागों में पिरौती जाऊंगी
---------- आज मुझे कुछ कहना है
3:---- सूरज की तरह तपना चाहती हूँ
चांद की तरह शीतलता भरना चाहती हूँ
तारों की तरह झिलमिलाना चाहती हूँ
बारिश की तरह बरसना चाहती हूँ
----------आज मुझे भी कुछ कहना है
4:--- बसंत ऋतु संग झूमू जैसे फागुन की बहार उडू गुलाल सी मै,सबके मन को भाए
पलकों में बंद कर के सपनों को सजाऊ मैं कोयल की कू कू खुशियां खूब मनाऊं मैं
---------आज मुझे भी कुछ कहना है
अपने तरीके से जीना है
अपने जीवन के कुछ पल
अपने लिए भी जीना है
----भगवती शिव प्रसाद जी

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




