वो तो इश्क़ में पहले ही बदनाम थी,
और साथ अब हमे भी ले डूबी थी।
हम तो बड़े शरीफ़ थे,
पर वो इस शरीफ़ की शराफत पर भी दाग़
लगा गई थी।
ग़लती से एक नज़र क्या देख लिया लिया था उसे,
वो उस ग़लती को सच समझ बैठी थी।
पता नहीं क्यों ?
वो जाते-जाते भी मुड़ -मुड़कर देख रही थी।
उसका यूं मुड़-मुड़कर देखना,
मुझे बड़ा खल रहा था।
कुछ ना था भले ही मेरे दिल में ऐसा वैसा,
पर ये गली मोहल्ला तो मुझे ऐसा ही समझ रहा था।
जिस वक्त उसकी नज़र हम पर पड़ी,
हमारी नज़र भी उस पर पड़ गई थी।
ये हमारा बुरा वक्त ही था,
जो कि उसी वक्त इस ज़माने की नज़र
हम दोनों पर पड़ गई थी
🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️