(बाल कविता)
आओ बादल
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पानी लेकर आओ बादल ।
रिमझिम जल बरसाओ बादल ।।
धरती माता प्यासी-प्यासी
उनकी प्यास बुझाओ बादल ।
टर्र-टर्र कर मेंढक कहते
अपना दिल पिघलाओ बादल।
मुरझाई फसलें खेतों की
आकर हरा बनाओ बादल।
गुस्सा होकर मत जाना अब
धीरे से मुस्काओ बादल ।
गोरे काले बागड़बिल्ल्ले
इतना मत इठलाओ बादल ।
आसमान में घूम - घूम कर
नीचे भी आ जाओ बादल ।
आग लगी ज़र्रे-ज़र्रे में
आकर शीघ्र बुझाओ बादल।
गुब्बारे-सा उड़ते-उड़ते
फूट यहीं पर जाओ बादल ।
गरमी बहुत सताती हर पल
चाँटा मार भगाओ बादल।
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~राम नरेश 'उज्ज्वल'
मुंशी खेड़ा,
अमौसी एयरपोर्ट,
लखनऊ-226009
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