यादों से सुलह कर ली,
ख़ाबों से जिरह कर ली !!
अब मिलोगे न रातों में,
आओगे न ख़ाबों में !!
अब चेहरा उनका हमें,
फिर से ना सतायेगा !!
है आशिक़ी अपनी जगह,
आयेगी न रातों में !!
दम भर के तुझे देखेंगे,
पर तुम ना हमें छेड़ना !!
ना पड़ोगे हमारे गले,
बिन हाँ के ख़यालों में !!
----वेदव्यास मिश्र
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