ख़यालों का घर है ये दिल मेरा,
ख़याल इस दिल में अजीब - अजीब चल रहे हैं। कुछ वजह से तो
कुछ बेवजह चल रहे हैं।
कुछ ख़याल बहुत हैरान कर रहे हैं
तो कुछ ख़याल सदमें पर सदमा दिए जा रहे हैं।
बड़ी उथल-पुथल मचा रखी है दिल में इन ख़यालों ने, बस तूफ़ानों का आना बाकी है।
इन ख़यालों को बहुत कोशिश की रोकने की, पर ये सताते जा रहे हैं।
साया बनकर साथ चल रहे हैं ये मेरे,
दूर करने पर भी दूर नहीं हो रहे हैं।
- रीना कुमारी प्रजापत