जब गली में फल सस्ता मिल जाए।
बाग से फल चोरी करने कौन जाए।।
उनकी खुशी मुझे पास बुलाने में है।
चोरी छुपे उनसे मिलने कौन जाए।।
रिश्ते निभाने के लिए चंद सिक्के है।
डूबी रहो प्यार में कमाने कौन जाए।।
जब झूठ बोलने से काम चल जाए।
बेवजह उनसे सच बोलने कौन जाए।।
जाने कब आएगी समझ मुझे 'उपदेश'।
पैसे निकाले जेब से छुपाने कौन जाए।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद