माँ की बातें
तब तक ही
पसन्द नहीं आतीं
जब तक
वो हमारे सामने
होतीं हैं,
कैसा वक़्त का फेर है
कि उनके न रहने पर
उनकी हर कही बात
पसन्द भी आने लगती है
और समझ भी..
----वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है
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तब तक ही
पसन्द नहीं आतीं
जब तक
वो हमारे सामने
होतीं हैं,
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पसन्द भी आने लगती है
और समझ भी..
----वन्दना सूद