कापीराइट गजल
एक रांग नम्बर से जब मेरी बात हो गई
इस दिल के रेगिस्तान में बरसात हो गई
थी अब तक सूनी-सूनी, जिन्दगी हमारी
इस जिन्दगी में नई, ये शुरूआत हो गई
बात कर के उनसे, धड़क रहा था ये दिल
करार आया हमें जब उनसे बात हो गई
एक अजीब सा सवाल छाया था मन में
क्या दिल देगी वो अगर मुलाकात हो गई
काल आते ही उसकी खिल गया ये दिल
उस के दिल से, यूं दिल की, बात हो गई
कहने, को दूर थे हम, पर दूरियां न थी
जब फोन पर ही उनसे मुलाकात हो गई
पा लूं उसको यादव कोई तरकीब तो बता
एक रांग नम्बर पर, यूं मुलाकात हो गई
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
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