जान गई मै उन गमो को भी
जिन गमो से कभी थी मै अंजान।
दे रही थी ये दुनिया हर रोज मुझे एक नया ज्ञान।
जाऊँ किस राह मै,जाऊँ किस राह मै
हर राह तो नजर आ रही थी सुनसान।
कहीं खो ना दूँ बची खुशियो को भी
कहीं खो ना दूँ बची खुशियो को भी।
ना करना चाहूँ अब मै ये नुकसान।
-राशिका ✍️✍️✍️