तेरा परिश्रम रंग लाएगा,
...अब फिर से सूरज निकलेगा,
....अब फिर से सूरज निकलेगा,
अंधकार की घड़ी कुछ दूर की है,
...आशाओं के बादल से होकर,
अब फिर से सूरज निकलेगा,
....अब फिर से सूरज निकलेगा,
निराशा को तू आशा में बादल,
...दे बदल ये पल ये मंजर तू ,
ना देख सुख और साधन को,
...तेरा परिश्रम रंग लाएगा ,
अब सूरज फिर से निकलेगा ...
अब सूरज फिर से निकलेगा ...
पग पग राहों में काँटें तो क्या,
...जीवन में पतझड़ और सावन क्या,
अब सूरज फिर से निकलेगा,
अब सूरज फिर से निकलेगा....
कवि राजू वर्मा द्वारा लिखित
22/12/2024
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