स्वतंत्रता देश के भावुक चेहरे ऐसे रंग दिखाते हैं।
हम भारत की बेटी है प्रेम की अनुभूति कराते हैं।
मन को भाते यूं मंडराते मिलकर हमे रिझाते हैं।
हमे देखकर दिल को हमारे कैसे नाच नाचाते हैं।
सदा मुस्कुराते मधुर बोली अपनापन दिखाते हैं।
मन से कपटी अनाचारी भावुक चेहरे दिखाते हैं।
ऐसे पागल प्रेमी केवल हमको बस उल्लू बनाते हैं।
समझदारी दिखलाने पर हमे पहले तो तड़फाते हैं।
बढ़ रही अनीति ये निर्दयीय नोच नोच कर खाते हैं।
अपने प्यार के जाल में फंसाकार ये नोट कमाते हैं।
बहनों के रक्षक भाई जब इनको आंख दिखाते हैं।
असामाजिक लोगों से मिल के भाई को मरवाते हैं।
समझदार बनकर बहिनों चांद तक तुम्हे जाना हैं।
ऐसे नालायक चेहरों से अपने आपको बचाना हैं।
इनकी नाक में नकेल डालकर धूल ही चटाना हैं।
भारत के गौरव प्रतिष्ठा को बेटी तुझे ही बचाना हैं।
-सत्यवीर वैष्णव