जवानी में आप भी मस्त थी
मैं भी मस्त था
उस बखत आप भी जबरदस्त थी
मैं भी जबरदस्त था
मगर आज देखो...
बुढ़ापा आगया
इस बुढापे ने तो
हमारी जवानी खा गया
हम दोनों में कमजोरी आई है
शरीर भी जकड़ गई है
घूमना फिरना भी
काफी दिलकत पड़ गई है
अब तो घर से बहुत
मुश्किल निकलना है
इधर उधर जहां जाओ
डंडा पकड़ चलना है
काश हमारी वह जवानी लौट आती
ये कमबख्त बुढ़ापा चली जाती
ये कमबख्त बुढ़ापा चली जाती.......
----नेत्र प्रसाद गौतम

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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