ठण्डी आहों के अलावा और क्या हासिल रहेगा
सिर्फ ख़्वाबों के अलावा और क्या हासिल रहेगा
नाम या बदनाम होना बस शायरी का है मुकद्दर
शुष्क तारीफों केअलावा और क्या हासिल रहेगा
अपना घर हो जिसमें रिश्ते प्यार के महकें हमेशा
खूब खुशियों के अलावा और क्या हासिल रहेगा
दास दिल दरिया दुआ देता दवा दहलीजे दुश्मन
बद दुआओं के अलावा और क्या हासिल रहेगा
दिल में जो अहसास हैं लफ्ज में ढल जाते हैं बस
चंद मिसरों के अलावा और क्या हासिल रहेगा II