वक़्त का लेन-देन
वक़्त भी बहुत बड़ा छलिया है
ग़ज़ब का लेन-देन है इसका
किसको कितना देना है
और किससे कितना लेना है
न कुछ ज़्यादा न कुछ कम
किसी की झोली कभी ख़ाली नहीं करता
और किसी को कुछ भी नहीं देता
किसी की क्षण में किस्मत बना देता है
और किसी की उम्र भी लगा देता है
पल पल का हिसाब रखता है
सब कर्मों का है खेल
वक़्त तो है उसका परिणाम
कोई ज़िन्दगी भर करके भी अंत में सब कुछ गवा देता है
और कोई थोड़ा कर के भी अंत में सब कुछ पा जाता है ॥
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है