कविता - आदमी से बफादार कुत्ता....
आदमी आदमी के लिए ही
हो रहा बेकार
आदमी से भी आज
कुत्ता है बफादार
आदमी आदमी को ही
बेरहम से कूटता है
आदमी आदमी के ही
घर संपति लुटता है
मगर ऐसा... कुत्ता किसी
हाल में नहीं कर सकता है
कुत्ता तो रात भर भौंक भौंक
कर आदमी का घर देखता है
आदमी को क्या कहें ?
आदमी घटिया से घटिया है
इसी लिए आदमी से
कई गुना कुत्ता ही बढ़िया है
इसी लिए आदमी से
कई गुना कुत्ता ही बढ़िया है.......