परवाह और सम्मान
परवाह के साथ मान चाहिए
बड़ों को केवल सम्मान चाहिए
घर में पहले की तरह अपना स्थान चाहिए
बुज़ुर्ग हो गए तो क्या ?
ज़िम्मेदारियाँ नहीं रहीं तो क्या ?
यादें खो गई तो क्या ?
नज़र कमज़ोर हो गई तो क्या ?
आज तुम पर निर्भर हो गए तो क्या ?
आज थोड़े जिद्दी हो गए तो क्या ?
कड़वा है पर सच यही है
कि तुम्हारा बचपन ही तुम्हें दिखा रहे हैं
शायद हमें समझा रहे हैं
जहाँ कल तुम थे ,वहाँ आज वो हैं
और जहाँ आज वो हैं,वह कल तुम्हारा होगा
हमारा उनके जीवन में होना जितना उनके लिए ज़रूरी है
उतना ही ज़रूरी उनका हमारे जीवन में होना है
जैसे हमारी उपस्थिति उन्हें उनके बड़े होने का एहसास दिलाती है
वहीं हमारी फिक्र भी करने वाला कोई है उनकी उपस्थिति हमें यह एहसास दिलाती है..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




