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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

परवाह और सम्मान

परवाह और सम्मान
परवाह के साथ मान चाहिए
बड़ों को केवल सम्मान चाहिए
घर में पहले की तरह अपना स्थान चाहिए
बुज़ुर्ग हो गए तो क्या ?
ज़िम्मेदारियाँ नहीं रहीं तो क्या ?
यादें खो गई तो क्या ?
नज़र कमज़ोर हो गई तो क्या ?
आज तुम पर निर्भर हो गए तो क्या ?
आज थोड़े जिद्दी हो गए तो क्या ?
कड़वा है पर सच यही है
कि तुम्हारा बचपन ही तुम्हें दिखा रहे हैं
शायद हमें समझा रहे हैं
जहाँ कल तुम थे ,वहाँ आज वो हैं
और जहाँ आज वो हैं,वह कल तुम्हारा होगा
हमारा उनके जीवन में होना जितना उनके लिए ज़रूरी है
उतना ही ज़रूरी उनका हमारे जीवन में होना है
जैसे हमारी उपस्थिति उन्हें उनके बड़े होने का एहसास दिलाती है
वहीं हमारी फिक्र भी करने वाला कोई है उनकी उपस्थिति हमें यह एहसास दिलाती है..
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

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Updesh Kumar Shakyawar said

वाह..बेहतरीन भावनाओ से ओतप्रोत करती रचना 🙏🏻🙏🏻

वन्दना सूद replied

शुक्रिया sir🙏😊

सुभाष कुमार यादव said

जीवन की वास्तविक अनुभूति को शब्दों में बाँध दिया आपने। बहुत सुंदर रचना।👏👏🙏

वन्दना सूद replied

धन्यवाद sir🙏😊

Lekhram Yadav said

अति सुन्दर रचना, वन्दना जी, आप सादर प्रणाम स्वीकार कीजिए।

वन्दना सूद replied

प्रणाम sir🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

अति उत्तम भाव 🙏🙏

वन्दना सूद replied

🙏🙏😊

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