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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

तुम्हारा रूठ जाना

यूं हर बात में तुम्हारा रूठ जाना
जैसें किसी चांद का धूमिल हो जाना
बहते जल का ठहर जाना
किसी उपवन का उजड़ जाना
मेरे चेहरे से खुशियों का बिखर जाना
तुम्हें मनाना ये ख्वाब हो तो अच्छा है
क्युकी तुम जानती हो
मुझे तुमको मनाना नही आता
यू प्यार जाताना नही आता
तुमसे कोई बात छिपाना नही आता
तुम्हे यू सताना नही आता
तुम्हारे ही ख्याल में कटते हैं दिन रात
मुझे बस दिखाना नही आता
तुम तो जानती हो गम को पीना मेरी पुरानी आदत है यूं आंसुओ को बहाना नहीं आता
तुम कहती हो मुझे पत्थर दिल
ऐसा नही है मई पिघल जाता हु
तुम्हारे सामने ।
कैसे जाहिर करू प्यार अपना
मुझे प्यार जाताना नही आता
अब क्या क्या कमियां बताऊं अपनी
मुझे कुछ भी समझ नही आता
बस मुझे मौसम की तरह बदलना नहीं आता
हां और प्यार बहुत है तुमसे
पर तुमसे बताना नही आता
तुम समझ जाया करो
बिना कुछ कहे ही सब सुन लिया करो

शुभम तिवारी




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

Batana nhi aata bina kuch kahe hi sab sun liya k... Bahut sundar 👌👌

वन्दना सूद said

मुझे कुछ भी समझ नही आता बस मुझे मौसम की तरह बदलना नहीं आता हां और प्यार बहुत है तुमसे पर तुमसे बताना नही आता👌👌👏👏बहुत खूबसूरत रचना

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

यूं हर बात में तुम्हारा रूठ जाना जैसें किसी चांद का धूमिल हो जाना बहते जल का ठहर जाना किसी उपवन का उजड़ जाना Bahut lazwaab Rachna 👌👌🙏🙏

फ़िज़ा said

वाह!! बेहद लाजवाब 👌👌

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