यूं हर बात में तुम्हारा रूठ जाना
जैसें किसी चांद का धूमिल हो जाना
बहते जल का ठहर जाना
किसी उपवन का उजड़ जाना
मेरे चेहरे से खुशियों का बिखर जाना
तुम्हें मनाना ये ख्वाब हो तो अच्छा है
क्युकी तुम जानती हो
मुझे तुमको मनाना नही आता
यू प्यार जाताना नही आता
तुमसे कोई बात छिपाना नही आता
तुम्हे यू सताना नही आता
तुम्हारे ही ख्याल में कटते हैं दिन रात
मुझे बस दिखाना नही आता
तुम तो जानती हो गम को पीना मेरी पुरानी आदत है यूं आंसुओ को बहाना नहीं आता
तुम कहती हो मुझे पत्थर दिल
ऐसा नही है मई पिघल जाता हु
तुम्हारे सामने ।
कैसे जाहिर करू प्यार अपना
मुझे प्यार जाताना नही आता
अब क्या क्या कमियां बताऊं अपनी
मुझे कुछ भी समझ नही आता
बस मुझे मौसम की तरह बदलना नहीं आता
हां और प्यार बहुत है तुमसे
पर तुमसे बताना नही आता
तुम समझ जाया करो
बिना कुछ कहे ही सब सुन लिया करो
शुभम तिवारी