शब्दों की दुनिया में कुछ भाव ऐसे होते हैं, जो समय की सीमाओं से परे जाकर दिलों में अपनी जगह बना लेते हैं।
वक़्त चाहे जैसा भी हो—सख़्त, बदलता हुआ या थका हुआ— उम्मीद का एक छोटा-सा दीप हमेशा जलता रहता है।
इन्हीं दीपों की रोशनी पर टिकी है यह ग़ज़ल—
एक सुकून भरा सफ़र, जहाँ दर्द भी है, धैर्य भी है, और हर मोड़ पर उम्मीद की नर्म-सी परछाई साथ चलती है।
आपके अनुभवों, संवेदनाओं और भीतर छिपी उस अनंत रौशनी के नाम, जो हर चुनौती में भी आगे बढ़ने का हौसला देती है।
उम्मीद है कि यह ग़ज़ल आपके दिल की किसी खिड़की पर धीमे से दस्तक दे सके।
दिल के आइने में कई ज़ख़्म साफ़ दिखते रहे,
मगर हम हर दर्द को खामोशियों से सिलते रहे।
वक़्त ने पल-पल हमें मंज़िल से दूर किया,
उसी राह पर हम तन्हाई लिए चलते रहे।
कुछ दुआएँ थीं कि आधी रात को कबूल हुईं,
ख़याल कुछ आँख की परछाइयों में जलते रहे।
सोचा था कि मुश्किल दौर भी कट जाएगा,
पर पुराने वक्त के साये हमें यूँही छलते रहे।
कोई चेहरे पे मुस्कान लिए पास से गुज़र गया,
उसी मुस्कान की गर्मी को हम बस तरसते रहे।
क्या अजब सिलसिला था उन कदमों की आहट का,
उस शोर की ख़ामोशी को हम तो बस सुनते रहे।
रोज़ गिरकर भी नई ताक़त मिली उठने की,
उस उम्मीदों के सहारे हम खुद को बुनते रहे।
वक़्त की गर्दिश ने जितनी बार रुलाया हमें,
उसी पल प्यार की मीठी दुआ उसको देते रहे।
जिनके आने से उजला सा था दिल का हर कोना,
हम उन्हीं यादों के दियों को रातभर मलते रहे।
ज़िन्दगी ने चाहे जितनी बार मोड़ी अपनी राहें,
मगर सच्चे यक़ीं के रास्ते पर हम बस चलते रहे।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




