आओ! हम भारत देश की एक नई पहचान बनाएँ ,
देश की पावन मिट्टी से मज़हब की दीवार हटाएँ।
नफ़रत,द्वेष,भेद-भाव और हो कैसी भी नकारात्मकता,
देश को इस चंगुल से आज़ाद कराएँ ।
माता-पिता ,बन्धु ,सखा सबके होते हैं साँझे ,
दर्द की हर आँधी को आओ मिल कर बाहर धकेलें ।
प्यार ,मोहब्बत से सींचें अपनी धरती माँ को,
दामन में सजे संस्कारों की ख़ुशबू ,जग में मिल कर फैलाएँ ।
खुली आँखों से देखे इस खूबसूरत सपने से,
हम सब अपने भारत देश की नई तस्वीर बनाएँ ॥
वन्दना सूद