मुहब्बत से लबालब हैं ये तेरी यार दो आँखे
तड़पती हैं तेरे दीदार को मेरी यार दो आंखे
खुशबू तेरी चाहत की मुझे मदहोश करती है
गुलाबों की लड़ी जैसी हुई महकार दो आंखे
तेरे रुखसार को भवरें शायद गुल समझते हैं
इसपे तितलियों की भी लगी हैं यार दो आंखे
सभी चकरा गए कल देखकर चाँद भी दो दो
ऊँची छतपे अटकी हैं सभी की यार दो आंखे
इश्क में वाजिब नहीं किसी की जान लेलेना
हमारे दास दिल में हैं जुबां की यार दो आंखे
हमारे मरने जीने की जरा तुम भी खबर ले लो
बिछाकर राह में पलकें हैं खुद तैयार दो आँखे...