उसकी बात छेड़कर मुहर्रम नही देखा।
उसके नगमे सुनकर तरन्नुम नही देखा।।
बेवक्त चर्चा में आई सखियाँ चौंक पडी।
उसकी सहानुभूति में मरहम नही देखा।।
विरासत उसकी अपनी होने वाली थी।
मौसम के मिज़ाज में अधर्म नही देखा।।
दिल में उतर गई कभी न उतरने वाली।
डूबने के बाद में 'उपदेश' शर्म नही देखा।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




