बातें कहने में भी डर लगता है
ना कहूँ तो भी डर लगता है।
नजरे तो हम भी मिलाते तुमसे
प्यार होने का डर लगता है।
ईमानदारी की बात तो कैसी करें
रोजीरोटी का डर लगता है।
पटाखे फोड़ने वालों! ध्यान देना
प्रदूषण का हमें डर लगता है।
भर गया है घर सुख सुविधा से
फिर भी घर में डर लगता है।
कैसे भेजूँ माँ-बाप को वृद्धाश्रम में
खुद का ही मुझे डर लगता है।
अजीब है ये इनसान दुनिया में कि
देखो हर बात से डर लगता है ।
---- धन्यकुमार जिनपाल बिराजदार