वो कहते हैं तुम्हारी तस्वीर भेजना,
इन दस सालों में तुम कितना बदली हो
मुझे ये देखना।
हमने कहा हम वैसे ही है जैसा आप
छोड़कर गये थे,
उम्र बड़ी है बस, पहले बचपन था अब जवानी है।
वो कहते हैं नहीं बदली हो तुम,
तो फिर तुम्हारा बात करने का अंदाज़ क्यों
बदला - बदला लगता है ?
इतने सालों में फिर कैसे तुमने,
आज मुझे याद किया है ?
हमने कहा वाक़य ना बदला कुछ,
बस ज़िंदगी ने इतने दर्द दिए कि
जीने के लिए अपना मिज़ाज बदला है।
और अब हमारा मिज़ाज पहले सा ना रहा,
अब हम ख़ुश-मिज़ाज रहने लगें हैं।
वो कहते हैं नहीं कुछ और भी है,
ना मिले हो हम भले ही दस सालों से
पर तुम्हारी खबर हमे सब है।
तुम वो बन गई हो जिसकी हमने कभी
कल्पना भी ना की थी,
सुना है कि आजकल तुम्हारी नज़्में पढ़कर
बहुत से लोगों की होती खुशनुमा सुबह
और शब है।
🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️