ना देखे कोई तो फ़र्क नहीं पड़ता
हम दिखानें नहीं चलें हैं।
हुनर से अपनें आसमानों को
चमकाने चलें हैं।
बिखर जायेगी रौशनी इस क़दर
कि खुद ब खुद दिख जायेंगें
दुनियां को बशर।
क्यूं बताना की हम क्या हैं ।
एक दिन खुद दुनियां पुकारेगी
हमारा नाम
कि हम काम कुछ ऐसे करने चलें हैं
हैं हम फनकार महफ़िल के कुछ इस तरह
कि आनंद हम हर बज़्म में नहाने चलें हैं।
रूठों को मनाने किसी ना किसी बहाने
हम शामों शहर जगाने चलें है।
थामें हिम्मत की मशालें
कर दिया सबकुछ वतन के हवाले
हम मातृभूमि के रखवालें चलें हैं।
कुछ अच्छा कुछ नया की चाह रखने वाले
दुनिया के दरों दीवारों पर नाम देश का
चसपाने चलें हैं।
जो समझ पाएगा फितरत जूनून ए देश अपनी
वो एक बार मुड़ कर देखेगा ज़रूर
कहिए आपका क्या ख्याल है हुज़ूर...
कहिए आपका क्या हाल है हुज़ूर..