जाने क्यों ? रातों में मुझे नींद नहीं आती,
कभी इधर सिर करती हूॅं कभी उधर सिर करती हूॅं
कभी ये करवट कभी वो करवट।
इसी जद्दोजहद में पूरी रात गुज़र जाती,
जाने क्यों ? मुझे नींद नहीं आती।
शायद कोई डर है जो मुझे सताए जा रहा है,
पर है क्या ? ये मुझे मालूम नहीं।
इसी कश्मकश में पूरी रात गुज़र जाती,
जाने क्यों ! मुझे नींद नहीं आती।
कभी हल्की सी दस्तक देती है,
पर फिर यूं चली जाती जैसे आई ना थी
इसी चिंतन मनन में पूरी रात गुज़र जाती,
जाने क्यों ? मुझे नींद नहीं आती।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️