इस तरह से हर दिन गुजारा नहीं।
रील देखना रोज रोज गवारा नहीं।।
मोहब्बत की शाख उजड़ेगी कैसे।
बात नही होती ऐसा इशारा नहीं।।
एतबार है नई साल मे सब बदलेगा।
खुदा के घर लिहाज हमारा नहीं।।
स्वप्न में हाथ मिलाने आती 'उपदेश'।
मगर नाम से मुझको पुकारा नही।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद