आपकी याद तो नहीं लेकिन ,
कोई पिघला है दर्द आँखों से ।
एक दर्द-ए-एहसास
जिसे कह न पाऊं कहीं ,
गुज़रते वक़्त की मानिंद
गुज़र न जाऊं कहीं ।
ज़िंदगी तुझसे यहाँ
कौन कटा होता है।
दर्द हर सांस के हिस्से में
बंटा होता है ।
ज़ख़्म नासूर करके रखते हैं,
दर्द की हम दवा नहीं करते ।
इनका एहसास खूब होता है,
दर्द इतने बुरे नहीं होते ।
ज़ख़्म गहरा सा कोई दे जाओ ,
दर्द में अब मज़ा नहीं आता ।
जब भी सोचेंगे उसको जीने की,
ज़िंदगी दर्द का मज़ा देगी ।
दर्द इसका समझ नहीं सकते ,
खो दिया हमने कितने अपनों को ।
जैसा हैं हम अंदर से
उसे वैसा ही दिखाना ,
मुश्किल है बहुत दर्द की
तस्वीर बनाना ।।
दर्द शिद्दत को पार कर आया ,
इश्क़ रोया जो आज सीने में ।
दर्द षको राहतें नहीं मिलती ,
लफ़्ज़ एहसास जब सिमट जाए ।
ज़िंदगी का कोई लम्हा
न कभी तुझपे भारी गुज़रे ,
तेरे हर दर्द से कह दूंगी
मुझसे होकर गुज़रे ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद