खायेंगे हम सिर्फ़ धोखा खायेंगे
उम्र भर खुद को बदल ना पाएंगे।।
दोस्त भी दुश्मन हुए तो क्या हुआ
मिलने पर हम तो गले लग जायेंगे।।
बंद आंखो से किया जिस पर यकीं
क्या पता था आईना दिखलाएंगे ।।
रोज खुशबू की तरह आते हैं जो
रोज खुशबू की तरह ही जायेंगे ।।
इन बुतों को क्या करें सजदा भला
ये भला क्या रास्ता दिखलाएंगे ।।
ये जमाना हमसे जीतेगा निरन्तर
हम अगर खुद से ही हार जायेंगे।।
बेवजह इस आग से खेलो नहीं अब
हाथ क्या है जिस्म भी जल जाएंगे।।
"दास" कैसी है अजब सी ये सजा
हम खुशी से मार ख़ुद अब खायेंगे।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




