आम आदमी को लाखों पाबंदी
पैसे वालों को आज़ादी हीं आज़ादी ।
जो अमीर है ये दुनियां उसी की जागीर है ,
बाकि सब बलि के बकरें
बाकि सब गरीब है।
बात बड़ी अजीब है।
अजीब विडंबना है
एक अमीर की शादी में
देश की मीडिया भी परेशान हैं।
कभी गरीब की थाली की फोटो ली है।
बाढ़ में दह रहें गरीब उसके घर उसके पशुओं को दिखाया है।
उस घर का चुल्लाह कैसे जलेगा
कभी बताया है।
बस अमीरों पर तुम्हारी फोकस
सिर्फ़ अमीरों के कॉवरेज किया है।
सिर्फ आम आदमी को झूठी कहानियां बना
सपनों में सुलाया है।
आम आदमी की परेशानी को
आम आदमी के मुद्दों को कभी
संजीदगी से उठाया है।
कुकुरमुत्ते की तरफ रोज़ाना खुल रहीं
दो टकीये के समाचार चैनलों ने तो
और भी कहर ढाया है।
क्या कभी किसी गरीब के काम आया है
सब ने मिलकर केवल गरीब का मज़ाक उड़ाया है..
सबने मिलकर केवल गरीब का मज़ाक उड़ाया है..