बदलकर दिन जैसे भी आये वैसे न थे।
तसव्वुर के बादल छट लगे बरसे न थे।।
उनका भुलाना एक बहाना दूर होने का।
तरसता छोड़ गये शायद वह तरसे न थे।।
सबक दे गये अन्जाम कुछ अच्छा नही।
भंवर में हम फंसे शायद वह फंसे न थे।।
दिल कब तक सम्हाल के रखते 'उपदेश'।
जलसे के दिन गये अब मिजाज वैसे न थे।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद