👉बह्र - बहर-ए-मुज़ारे मुसम्मन अख़रब मकफ़ूफ़ महज़ूफ़
👉 वज़्न - 221 2121 1221 212
👉 अरकान - मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
तारे न तोड़िये न भले चाँद लाइए
महबूब का कभी न मगर दिल दुखाइए
उस रब के क़हर से ज़रा सा ख़ौफ़ खाइये
कमज़ोर पे न ज़ोर कभी आज़माइए
पूरे अगर न हो सके वादे न कीजिए
वादे अगर जो कीजिये उनको निभाइए
दुनिया को एक रोज़ पता चल ही जाएगा
कितना भी आप इश्क़ को सबसे छुपाइए
ख़ुद के लिए ही ज़िंदगी जीने में क्या मज़ा
औरों के वास्ते भी कभी काम आइए
मरना तो एक रोज़ है सबको हयात में
जीते जी जिंदगी में ज़रा मुस्कुराइए
अपनों से ज़ीस्त में बड़ी दौलत नहीं कोई
आँखों से 'शाद' हिर्स की पट्टी हटाइए
©विवेक'शाद'

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




