उसकी मां उसे छोड़ गई,
वो इस दुनियां को अलविदा कह गई।
अपनी मां को बहुत याद करती है वो,
मां की जुदाई में अंदर ही अंदर घुट रही है वो।
अपनी मां के जाने के बाद,
शादी कर वो भी उस घर से विदा हो गई।
पर जब भी पीहर आती है
पगली हक़ीक़त भूल जाती है,
और बाहर से ही मां को पुकारती - पुकारती
घर में दाख़िल हो जाती है।
मां को आवाज़ देती और पूरे घर में ढूंढती है,
जब मां का कोई जवाब ना मिलता,
मां ढूंढने पर कहीं नहीं मिलती
तब उस बे - सुध को सुध आती है
कि मां तो अब है ही नहीं।
मां की जुदाई में उसकी जो मनोव्यथा है
उसे वो बयां कर सकती नहीं,
पर बिना कहे उसका हाल समझ लेती हूॅं।
मां के बिना रहती वो उदास - उदास,
मां के बिना अब नहीं रहा उसका कोई त्यौहार ख़ास।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 🖋️