तट का साक्षी
शिवानी जैन एडवोकेटbyss
तट का साक्षी, लहरों का शोर,
अनगिनत यादें, हर भोर।
आती हैं, जाती हैं, मीठी-सी धुन,
कभी उग्र, कभी शांत, मन को हर पल गुनगुन।
इन लहरों में छुपा है,
कितना दर्द और कितना सुख।
कितने जहाज़ डूबे इनमें,
कितने किनारे देखे मुख।
रेत पर निशान छोड़तीं,
जैसे समय के पदचिह्न।
फिर उन्हें मिटा देतीं,
जैसे भाग्य का अनिश्चित चिन्ह।
लहरों का आना-जाना,
जीवन की सच्चाई।
जो आज है, वो कल नहीं,
यह देती है गवाही।
तट पर बैठे पथिक को,
लहरें बहुत कुछ सिखातीं।
हर बदलाव को स्वीकारना,
यह हमें बतातीं।
लहरों की धुन सुन,
मन हो जाता शांत।
भूल जाते सारे गम,
मिल जाती अनंत।
ये लहरें ही तो हैं,
जो जीवन का दर्पण।
जो दर्शातीं हमें,
हमारा ही अर्पण।


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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